Wednesday, January 5, 2022

चंद बातें

रोशनी की वाह वाही की चाह होती है,
मगर इस अंधेर में पैदा होते हज़ारों एहसास अलग है।


महफूज़ करने को उससे भर लेता हूं बाहो में,
वो अपने को इनमे आजाद समझती है।


मैं अंधेर में हूं, मैं गहराई में हूं,
मैं मोहब्बत से दूर,
अपनी सच्चाई और सुकून मैं हू।

मैं कौन हूं ये तो मैं जानता नही,
पर जो तुम सोच रहे हो, वो जरूर हूं।

दर्द ए दिल को दिल में दबाए क्यों,
इस दर्द को दुनिया से छुपाए क्यों।
वो अपनी खुशी का जशन बनाते रहे,
हमने भी अपने दर्द को फक्र से बता दिया।।

मिले तो कुछ मिले,
अगर बहुत कुछ मिला, तो समझो कुछ नही मिला।

रुका रुका सा था दिल मेरा,

इतनी धड़कन न थी की रगो मैं खून भर सके.

पर भागता सा ये दिमाग मेरा,

अनगिनत कहानिया बुन लेता है,

पता नहीं ये जयादा तेज़ भागते दिमाग ने दिल रोका है,

या दिमाग हे मुझे चला रहा है.