बस दो मिनट चाहिए हुज़ूर आपके,
यह कह के ही वो मेरी ज़िंदगी में आई थी।
और बहुत साथ दिया उसने,
सर्द रातो मे,
दुर्गम रास्तो में,
पहाड़ो की सर्द हवा के सनाटे में,
समुन्दर की लहरों की आवाज़ के साथ ,
और उन पालो में जब और कोई नहीं था।
मिलते थे हम कभी चाय के साथ, कभी कोल्ड ड्रिंक या निम्बू पानी के साथ ,
मेरे दोस्तों को उसने अपना दोस्त बनाया।
पर फिर एक नया नशा मुझे लग गया,
और मैंने उससे मुँह मोड़ लिया।
ये अचानक न था,
उसने पुकारा था,
उसने अपने को बदला था,
अंदर से, बहार से।
और मैं भी रुका तो था ,
पर वापस आ न सका,
मेरा रास्ता बदल चूका था,
मैं दूर जा चूका था।
पर आज जब किसी ने मुझे से कहा,
की दो मिनट है तुम्हारे पास,
Show your best।
तो याद आएगी उसकी,
कैसे बस गरम पानी मांगती थी,
और दो मिनट में तैयार हो जाती थी,
ताकि मैं अपने को cook समझ सकू।
कैसे रातो को भूखा सोने से बचाया था,
कैसे रातो को पढने में मदद करी थी ।
कैसे वो आटा Maggi बन के भी आयी थी,
कैसे वो छोटे सूखे मटर और गाजर भी लायी थी।
पर मैं रुक न सका।
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