Tuesday, October 14, 2025

ऊपर वाले से ना मांगो कुछ

किसी से भी कुछ भी माँगो,
पर उस ऊपर वाले से कुछ मत माँगो।
वो जब देता है —
तो देता सब कुछ है,
पर कीमत बड़ी लेता है।

मैंने माँगी थी एक नौकरी,
एक बड़ी गाड़ी,
उसने दे दी —
पर ले लिया वो यारों के संग बैठने का वक्त,
वो बेफिक्री, वो हँसी,
जो बिना वजह भी आ जाती थी।

मैंने कहा — इश्क़ मुकम्मल कर दे,
उसने किया —
पर ले गया वो बेचैनी,
वो जुनून,
वो धड़कनों की तेज़ रफ़्तार,
जो बस नाम सुनते ही बढ़ जाती थी।

मैंने माँगा —
काम में खुद को साबित करना है,
करियर में सफल होना है —
उसने दिया,
पर ले लिया बच्चों संग बिताने के पल,
वो मासूम हँसी, वो आँखों की चमक।

फिर मैंने कहा —
दोनों चीज़ें दे दे,
काम भी, और घर का सुकून भी।
इस बार भी दिया उसने,
पर...
इस बार ले लिया मुझसे मुझे ही।

अब जब बैठता हूँ एकांत में,
तो मैं कौन हूं, क्यों जी रहा हूं,
क्या चाहता हूं, क्या मांगू अब,
कुछ समझ नहीं आता।

अब अगर माँगने को कुछ बचा है —
तो खुद को मांगना बचा है।

Wednesday, October 8, 2025

2 min

 बस दो मिनट चाहिए हुज़ूर आपके, 

यह कह के ही वो मेरी ज़िंदगी में आई थी। 

और बहुत साथ दिया उसने,

सर्द रातो मे,

दुर्गम रास्तो में,

पहाड़ो की सर्द हवा के सनाटे में,

समुन्दर की  लहरों की आवाज़ के साथ ,

और उन पालो में जब और कोई नहीं था। 


मिलते थे हम कभी चाय के साथ, कभी कोल्ड ड्रिंक या निम्बू पानी के साथ ,

मेरे दोस्तों को उसने अपना दोस्त बनाया। 


पर फिर एक नया नशा मुझे लग गया, 

और मैंने उससे मुँह मोड़ लिया। 

ये अचानक न था, 

उसने पुकारा था, 

उसने अपने को बदला था,

अंदर से, बहार से। 


और मैं भी रुका तो था ,

पर वापस आ  न सका, 

मेरा रास्ता बदल चूका था, 

मैं दूर जा चूका था। 


पर आज जब किसी ने मुझे से कहा,

की दो मिनट है तुम्हारे पास,

Show your best। 


तो याद आएगी उसकी,

कैसे बस गरम पानी मांगती थी,

और दो मिनट में तैयार हो जाती थी,

ताकि मैं अपने को cook समझ सकू। 


कैसे रातो को भूखा सोने से बचाया था,

कैसे रातो को पढने में मदद करी थी ।  


कैसे वो आटा Maggi बन के भी  आयी थी,

कैसे वो छोटे सूखे मटर और गाजर भी लायी थी। 

पर मैं रुक न सका।  

Tuesday, June 3, 2025

भगवान कैसें बनें (How To become a God)

 न था कुछ तो ख़ुदा था,

कुछ ना होता तो खुदा होता। 

डुबोया मुझको होने ने,

न मैं होता तो क्या होता।

- ग़ालिब।


शायर कहते हैं किं हमारा जो ' में हैं। जो ' Ego' हैं I

वो हीं हमारा बंधन और downfall का कारण हैं।

हम अपने बारे में अच्छा बुरा जो भी सोचते हैं।

 जैसे ही तो विचार आता हैं , हम अपने लिए एक दिवार बना लेते हैं।


कुछदे ना होता तो खुदा होता।

अगर हम अपने मैं को हटा लें,

तो हम भी ईश्वर के समान, ईश्वर का ही स्वरूप हैं।

जैसे एक महान कलाकार ' Nawazuddin Siddique' ने एक मशहूर चलचित्र में कहा हैं कि,

कभी कभी लगता हैं कि अपुन हीं भगवाऩ हैं।


एक पंक्ति में कहे तो-

अगर आप भगवान बनना चाहते हैं तो अपना' मैं , अपना' Ego' खत्म करें।